KaalSarp Dosh Puja Trimbakeshwar
Rudra Abhishek is a ritual where Panchamrut Pooja is offers to lord Trimbakeshwara with powerful hymns/mantras to fulfil all the wishes of the person who gets it performed.
This abhisheka bestows prosperity, fulfillment of all desires, it removes negativity, cut off the negative karma and give all round happiness in life.
It is done for fulfilling our desires, and for prosperity. It is a very special type of trimbakeshwar temple pooja which is done by only Local Brahmins of the Trimbakeshwar at the temple .This bestows prosperity, fulfillment and give all aground happiness in life Abhisheka is perormed by Chanting the verses of Sanskrit sholakas ('Suktas') (Rudra )and simultaneously offering either holy leaves, holy water, honey, Milk, curd (yogurt), sugar, cane juice to Lord Trimbakeshwar.
Verses are Pronounced loudly by priests they are written in ('San-Skrit' language pronounced as sun-s-krita ) ancient Indian language. There is a belief that, this language is use for communication by God.Priest's usually can chant in this language. The vibrations generated from this chanting heals the mind of listeners and will give him/her peace of mind.
रुद्र भगवान शिव का एक प्रसिद्ध नाम है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर पूजा और अर्चना की जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक है और माना जाता है कि इससे भक्तों को समृद्धि और शांति के साथ आशीर्वाद मिलता और कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। शिव को अत्यंत उदार भगवान माना जाता है और यह आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं।
रुद्राभिषेक शिवरात्रि माह में किया जाता है। हालांकि, श्रावण (जुलाई-अगस्त) का कोई भी दिन रूद्राभिषेक के लिए आदर्श रूप से अनुकूल हैं। इस पूजा का सार यजुर्वेद से श्री रुद्रम के पवित्र मंत्र का जाप और शिवलिंग को कई सामग्रियों से पवित्र स्नान देना है जिसमें पंचमृत या फल शहद आदि शामिल हैं। यहां हम आपके लिए विस्तृत रूद्राभिषेक पूजा प्रक्रिया दे रहे हैं।
रुद्राभिषेक की शुरुआत से पहले विस्तृत तैयारी की आवश्यकता होती है। भगवान शिव, माता पार्वती, अन्य देवी-देवताओं और नवग्रहों के लिए आसन या सीटें तैयार की जाती हैं। पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करके आशीर्वाद मांगा जाता है। भक्त संकल्प लेते हैं या पूजा करने का उल्लेख बताते हैं। इस पूजा में विभिन्न देवताओं और सार्वभौमिक ऊर्जा के देवी-देवताओं जैसे धरती मां, गंगा माता, गणेश, भगवान सूर्य, देवी लक्ष्मी, भगवान अग्नि, भगवान ब्रह्मा और नौ ग्रह शामिल हैं। इन सभी देवताओं की पूजा करने और प्रसाद अर्पण करने के बाद शिवलिंग की पूजा की जाती है, अभिषेक के दौरान शिवलिंग से बहने वाले पानी को एकत्र करने की व्यवस्था के साथ इसे वेदी पर रखा जाता है।
Mahamrityunjaya Mantra is the most powerful of all ancient Sanskrit mantras. It is a mantra that has many names and forms.
|| ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ||
It is called the Rudra mantra, referring to the furious aspect of Shiva; the Tryambakam mantra, alluding to Shiva's three eyes; and its is sometimes known as the Mrita-Sanjivini mantra because it is a component of the "life-restoring" practice given to the primordial sage Shukra after he had completed an exhausting period of austerity. The Maha Mrutyunjaya mantra is hailed by the sages as the heart of the Veda.
Mahamrityunjaya means victory over the great death, victory over the illusion of separateness from spirit. Mahamrityunjay Jaap anustan is done for a long and healthy life and to get rid of prolonged sickness. specially for those on their death bed.
Mahamritunjay meaning Trimbakeshwar. Lord Trimbakeshwar represents the aspect of the Supreme being and is considered to be the destroyer of evil and sorrow. Use Mantra for Healing during/after surgery, for illness, emotional trauma, meditation, massage, or preparation for transition.
महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है.शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है.स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर मेरे पास अक्सर बहुत से लोग इस मन्त्र की और इसके जप विधि की जानकारी प्राप्त करने के लिए आते हैं. इस महामंत्र के बारे में जहांतक मेरी जानकारी है,वो मैं पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ.
महा मृत्युंजय मंत्र का पुरश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय मंत्र की 11 लाख है.मेरे विचार से तो कोई भी मन्त्र जपें,पुरश्चरण सवा लाख करें.इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है.जप सुबह १२ बजे से पहले होना चाहिए,क्योंकि ऐसी मान्यता है की दोपहर १२ बजे के बाद इस मंत्र के जप का फल नहीं प्राप्त होता है.आप अपने घर पर महामृत्युंजय यन्त्र या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर जप शुरू करें या फिर सुबह के समय किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और फिर घर आकर घी का दीपक जलाकर मंत्र का ११ माला जप कम से कम ९० दिन तक रोज करें या एक लाख पूरा होने तक जप करते रहें. अंत में हवन हो सके तो श्रेष्ठ अन्यथा २५ हजार जप और करें.ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, हानि की सम्भावना या धन-हानि हो रही हो, वर-वधू के मेलापक दोष, घर में कलह, सजा का भय या सजा होने पर, कोई धार्मिक अपराध होने पर और अपने समस्त पापों के नाश के लिए महामृत्युंजय या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया या कराया जा सकता है.
Narayan Nagbali / Tripindi Shraddha vidhi should performed to get rid of Pitru Dosh. Performing these poojas' during the period (5th to 19th September) of Pitrupaksha(पितृ पक्ष) will be more beneficial. According to the Hindu calendar Pitrupaksha starts immediately after the Jay Prakash festival and ends with the New moon day know as Sarvapitri amavasya. The Hindus offer homeage to their ancestors during pitrupaksha to get their blessings and help their soul attain the path of Heaven. Call pandit Jay Prakashi gurji and book your pitra dosh nivaran puja at trimbakeshwar, nashik with all puja samgari.
According to Hinduism, the souls of three preceding generations of one's ancestor reside in Pitru–loka, a realm between heaven and earth. This realm is governed by Yama, the god of death, who takes the soul of a dying man from earth to Pitru–loka. When a person of the next generation dies, the first generation shifts to heaven and unites with God, so Shraddha offerings are not given. Thus, only the three generations in Pitru–loka are given Shraddha rites, in which Yama plays a significant role. According to the sacred Hindu epics, at the beginning of Pitru Paksha, the sun enters the zodiac sign of Libra (Tula). Coinciding with this moment, it is believed that the spirits leave Pitru–loka and reside in their descendants' homes for a month until the sun enters the next zodiac—Scorpio (Vrichchhika)—and there is a full moon. Hindus are expected to propitiate the ancestors in the first half, during the dark fortnight.
नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।
कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है, यह पिता का घर भी होता है, अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी, जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं, लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं, नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंसन में रहता है, उसकी शिक्षा पूरी नही हो पाती है, वह जीविका के लिये तरसता रहता है, वह किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से अपंग होता है।
Kaal Sarp Puja
Kalsarp Dosh Nivaran is formed when all the planets are situated between Rahu & Ketu. When all the planets are hemmed between Rahu and Ketu i.e., the moon’s north node and the moon’s south node Kalsarp Yog is formed. Complete Kalsarp Yog is formed only when half of the chart is unoccupied by planets.When all the stars of fortune or planets get trapped in a vicious circle or when all the stars of fortune concentrate at one position in a horoscope then it is termed as conjunction of planets and then it’s time for you to understand that you have kalsarp yog in your life. At times a few planets are outside the circumference or reach of rahu and ketu. We earn lot of money but never know how it is spent or how it goes away from us. This yog brings negative thoughts in our mind and also creates fear in our mind. This yog brings hurdles in our studies and also creates problems in getting married. Kalsarp yog also brings downfalls or loss in business. Conflicts in husband-wife relation and other problems are also due to kalsarp yog.
By performing Kalsarp Shanti one gets blessed by 9 different species of snakes. Along with Kalsarp Shanti puja, Rahu & Ketu puja opens up the doors of success. By worshiping the gold idol of snake one gets blessed by Goddess Laxmi. The money earned is spent for right purpose. The unknown fear disappears from the mind. The mind is at peace and one starts thinking in a positive way. One gets respect in the society and also brings success in professional life. Family relations grow good and strong. Kalsarp Shanti puja protects a person from evil powers and energies. One gets an opportunity to serve his parents and elderly people in the family. Fear of snake vanishes by worshiping him. One gets rid of evil influence. Good health is achieved by performing Kalsarp Shanti Puja. One attains success in life by this puja.
कालसर्प एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में परिलक्षित होता है। व्यावहारिक रूप से पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, मुख्य रूप से उसे संतान संबंधी कष्ट होता है। या तो उसे संतान होती ही नहीं, या होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। धनाढय घर में पैदा होने के बावजूद किसी न किसी वजह से उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है। तरह तरह के रोग भी उसे परेशान किये रहते हैं।
02-May-2023
Today's Topic is problems are thought to be brought on by Kalsarp dosh by Shri. Pankaj guruji
The following problems are thought to be brought on by Kalsarp dosh:
1. Financial difficulties: People who have Kalsarp dosh may have trouble making ends meet and gaining wealth. They might have trouble saving money and might have sudden losses or expenses.
2. Issues with health: A person's health can also be affected by kalsarp dosh. People with this dosh might get sick a lot and have a hard time getting better.
3. Obstacles to career: Career advancement may be challenging for those with Kalsarp dosh. In their professional lives, they may encounter difficulties, delays, or setbacks.
4. Issues in relationships: Personal relationships may also be difficult for people with Kalsarp dosh. It's possible that they won't be able to find a partner who is right for them, and their current relationships might be hard.
5. Mental wellness: A person's mental health can also be affected by kalsarp dosh. They might encounter tension, wretchedness, or other psychological wellness issues.
6.Spiritual development: Lastly, it is said that Kalsarp dosh hinders spiritual development. They may feel disconnected from the universe and struggle to connect with their inner self.
10-Apr-2023
Today's Topic is कालसर्प पूजा त्रयंबकेश्वर में करवाने से क्या फायदा मिलता है ? कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष होता है जो कि कुंडली में कालसर्प योग के रूप में जाना जाता है। इस दोष के कारण जातक की जीवन में विभिन्न समस्याएं और अधिक परेशानियां हो सकती हैं।
त्रंबकेश्वर ज्योतिष मंदिर महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित है और यह एक प्रसिद्ध ज्योतिष मंदिर है जहां लोग कालसर्प पूजा करवाते हैं। इस पूजा से जातक को निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:
कालसर्प दोष से छुटकारा: कालसर्प पूजा करवाने से जातक को कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। यह दोष विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि स्वास्थ्य समस्याएं, व्यवसाय में समस्याएं, शिक्षा से संबंधित समस्याएं और विवाह संबंधी समस्याएं।
धन और समृद्धि: कालसर्प पूजा करवाने से जातक को धन और समृद्धि मिल सकती है। यह पूजा विभिन्न विषयों में सफलता और आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद कर सकती है।
संतान सुख: कालसर्प पूजा करवाने स
कालसर्प योग दोष पूजा फायदे
1) नौकरीमे शोहरत और ऊँचे पदका लाभ होना।
2) व्यापार में लाभ होना।
3) पति पत्नी में मतभेद मिट जाना।
4) मित्रों से लाभ होना।
5) आरोग्य में लाभ होना।
6) परिवार में शान्ति आना।
7) उत्तम संतान की प्राप्ति होना।
8) सामजिक छवि में सुधार होना।
9) कालसर्प योग दोष पूजा दक्षिणा
10) पूजा में उपयोग आनेवाली सामग्री पर दक्षिणा आधारित होती है।
10-Apr-2023
ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि ग्रहों की अशुभ स्थिति आदि के कारण कई तरह के ग्रह दोष पैदा हो जाते हैं, जिन्हें दूर करने के लिए कई तरह के उपाय या धार्मिक अनुष्ठान आदि किए जाते हैं। इन्हीं में से एक दोष है कालसर्प दोष, जिसे काफी अशुभ माना जाता है। अर्थात जिसकी कुंडली में ये दोष पैदा हो जाए उसे कई तरह के अशुभ प्रभाव प्राप्त होेते हैं। बताया जाता है इस दोष से राहत पाने के लिए न केवल उपाय किए जाते हैं बल्कि देश के कुछ प्रमुख धार्मिक स्थलों पर इसके लिए खास पूजा की जाती है। बता दें कालसर्प दोष की पूजा खासतौर पर उज्जैज (मध्यप्रदेश), ब्रह्मकपाली (उत्तराखंड), त्रिजुगी नारायण मंदिर (उत्तराखंड), प्रयाग (उत्तरप्रदेश), त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर (तमिलनाडु) आदि जगहों पर संपन्न होती है, परंतु इन तमाम जगहों में से त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) को सबसे श्रेष्ठ माना गया है
नाशिक के पास गोदावरी तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, जहां पर नागपंचमी और अन्य विशेष दिनों में कालसर्प दोष की पूजा होती है। कहा जाता है कि इस पूजा के लिए यह स्थान सबसे प्रमुख है। कहा जाता है कि ये एकमात्र स्थान है जहां प्रतिवर्ष लाखों लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। कहते हैं कि यहां के शिवलिंग के दर्शन करने से ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कालसर्प के अलावा यहां त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती है।
मान्यता है कि इस मंदिर में 3 शिवलिंगों की पूजा की जाती है जिनको ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास 3 पर्वत स्थित हैं, इन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार के नाम से जाना जाता है। लोक मत है कि यहां ब्रह्मगिरी पर्वत भगवान शिव का स्वरूप है, नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय भगवान का मंदिर है और गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी मंदिर स्थित है।
यहां कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विधिवत रूप से संपूर्ण पूजा की जाती है, जिसमें कम से कम 3 घंटे लगते हैं। कहा जाता है अन्य स्थानों की अपेक्षा में ये स्थान सबसे खास है क्योंकि यहां पर शिव जी का महा मृत्युंजय रूप विद्यमान है।
चूंकि यहां तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के विराजमान हैं, इसलिए ही इस जगह को त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा। उज्जैन और ओंकारेश्वर की तरह ही त्र्यंबकेश्वर महाराज को यहां का राजा माना जाता है।
पंडित पंकज गुरुजी( त्रयंबकेश्वर)
Mo.9284065608
06-Feb-2023
Today's Topic कालसर्प दोष ऐसे बनता है कालसर्प दोष. ज्योतिष में राहु का अधिदेवता काल है और केतु का सर्प। कुंडली में जब राहु और केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष लगता है। यह दोष 12 प्रकार का होता है और कुंडली में इस योग के रहने से जीवन कठिनाइयों से भरा रहता है। इसलिए जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है तो उसे विधि-विधान से पूजा करते इस दोष का निवारण कर लेना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में 12 प्रकार के कालसर्प दोष बताए गए हैं और इनका निवारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। अनंत कालसर्प दोष, कुलिक कालसर्प दोष, वासुकि कालसर्प दोष, शंखपाल कालसर्प दोष, पद्म कालसर्प दोष, महापद्म कालसर्प दोष, तक्षक कालसर्प दोष, कर्कोटक कालसर्प दोष, शंखनाद कालसर्प दोष, घातक कालसर्प दोष, विषाक्त कालसर्प दोष, शेषनाग कालसर्प दोष। कालसर्प दोष के लक्षण. 1.कालसर्प दोष के दौरान दूसरों की गलतियों का दोषी माना जाता है या फिर बार-बार डरावने सपने आते हैं। दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ता है। सपनों में अक्सर सांप दिखाई देते हैं, साथ ही सपने में किसी न किसी मृत्यु देखते हैं। मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता और हमेशा धन संबंधित समस्याएं बनी रहती हैं। 2.कालसर्प दोष होने पर विरोधियों की संख्या में इजाफा हो जाता है और पूरी दुनिया में आप अकेले पड़ जाते हैं और कोई भी मदद नहीं करता। साथ ही कोई न कोई रोग लगा रहता है और पारिवारिक जीवन पूरी तरह कलहपूर्ण हो जाता है। साथ में कोई भी निर्णय सही से नहीं ले पाते हैं। काल सर्प दोष होने पर पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता या किसी कारण वश पढ़ाई बीच में छूट जाती है। कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय ke liye mile Hamare pandit ji se
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Developed & Designed By www.askloo.comIt was great and divine experience at trimbak...we found pandit ji who was so experienced and well informed...he arranged everything well in advance...we faced no difficulty...it's just amazing to be here pandit pankaj guru ji
EditIt was very good experience in trimbakeshwar. As Pooja performed by guruji is so authentic and meaningful. Guruji has great experience and very genuine person always explain the meaning along with mantras.His house is situated just near a temple.
EditIt was an great experience with PANKAJ GURUJI.. He was an very polite and Humble. His receiving of people and arranging the needed facilities like hotel and food.
EditHe is very sincere in his prayers, precise and perfect in his Vidya and a great soul. His solutions work! Truly a great Guru and someone you can completely trust. Prayers and thanks to him always
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